Thursday, July 31, 2008

जीवन पथ

मृत्यु कभी नही आती। हम मृत्यु में रह रहे होते हैं , मृत्यु में ही चल रहे होतें हैं ।जब हम गंतव्य पर पहुँच जायेंगे अशेष हो जायेंगे , अनित्य हो जायेंगे । जन्म , मृत्यु का प्रवेश द्वार है। अब प्रश्न है कि इस स्थिति में कौन सी राह हो जीने की ? हमारा जीवन - पथ क्या हो ? लक्ष्य क्या हो ? तो सिर्फ़ और सिर्फ़ दो ही रास्तें हैं , या तो पूरी उम्र मृत्यु से बचने के उपाय खोजने में बिता दी जाए या अमृत की तलाश में। ज्यादातर लोग अपने जीवन को मृत्यु से बचने की कोशिश में गुजार देतें है जो कि सम्भव नही । मृत्यु निश्चित लक्ष्य है । हम भ्रम में जीतें हैं। दूसरा पथ है अमृत कि तलाश का पथ , जो कि कठिन है । कुछ लोग ही हैं जो इस पथ पर चलें हैं या कोशिश करते हैं । पर यह अकाट्य सत्य है कि जो लोग इस पथ पर चलें हैं , वही अमर हुए हैं।

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